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त्वम॒पो यद॑वे तु॒र्वशा॒यार॑मयः सु॒दुघाः॑ पा॒र इ॑न्द्र। उ॒ग्रम॑यात॒मव॑हो ह॒ कुत्सं॒ सं ह॒ यद्वा॑मु॒शनार॑न्त दे॒वाः ॥८॥

English Transliteration

tvam apo yadave turvaśāyāramayaḥ sudughāḥ pāra indra | ugram ayātam avaho ha kutsaṁ saṁ ha yad vām uśanāranta devāḥ ||

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Pad Path

त्वम्। अ॒पः। यद॑वे। तु॒र्वशा॑य। अर॑मयः। सु॒ऽदुघाः॑। पा॒रः। इ॒न्द्र॒। उ॒ग्रम्। अ॒या॒त॒म्। अव॑हः। ह॒। कुत्स॑म्। सम्। ह॒। यत्। वा॒म्। उ॒शना॑। अर॑न्त। दे॒वाः ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:31» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:30» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य्यदाता ! (पारः) पार लगानेवाले होते हुए (त्वम्) आप (तुर्वशाय) शीघ्र वश करने में समर्थ (यदवे) मनुष्य के लिये (सुदुघाः) उत्तम प्रकार पूर्ण करने योग्य (अपः) जलों के सदृश कर्म्मों को (अरमयः) रमावें और (उग्रम्) बड़े कष्ट से जिसको जीत सकें उस (अयातम्) न आये हुए (कुत्सम्) कुत्सित को (ह) निश्चय (सम्, अवहः) अच्छे प्रकार प्राप्त होवें तथा (यत्) जिसमें (उशना) कामना करते हुए (देवाः) विद्वान् जन (अरन्त) रमें, उसमें (ह) निश्चय (सम्, अवहः) अच्छे प्रकार प्राप्त होवें तथा (यत्) जिसमें (उशना) कामना करते हुए (देवाः) विद्वान् जन (अरन्त) रमें उसमें (ह) निश्चय (वाम्) आप दोनों अर्थात् आप को और पूर्वोक्त मनुष्य को रमावें ॥८॥
Connotation: - ऐश्वर्य्यवाला मनुष्य अन्य जनों के लिये धन और धान्य आदिक देवें और जहाँ विद्वान् रमें, वहाँ ही सम्पूर्ण जन क्रीड़ा करें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! पारः सँस्त्वं तुर्वशाय यदेव सुदुघा अपोऽरमय उग्रमयातं कुत्सं ह समवहः यद् यत्रोशना देवा अरन्त तत्र ह वां रमयेयुः ॥८॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (अपः) जलानीव कर्माणि (यदवे) मनुष्याय (तुर्वशाय) सद्यो वशकरणसमर्थाय (अरमयः) रमय (सुदुघाः) सुष्ठु दोग्धुमर्हाः (पारः) यः पारयिता (इन्द्र) परमैश्वर्य्यप्रद (उग्रम्) दुर्जयम् (अयातम्) अप्राप्तम् (अवहः) प्राप्नुहि (ह) किल (कुत्सम्) (सम्) (ह) (यत्) (वाम्) युवाम् (उशना) कामयमानाः (अरन्त) रमन्ताम् (देवाः) विद्वांसः ॥८॥
Connotation: - ऐश्वर्य्यवान् मनुष्योऽन्येभ्यो धनधान्यादिकं दद्याद्यत्र विद्वांसो रमेरंस्तत्रैव सर्वे क्रीडेरन् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ऐश्वर्यवान माणसाने इतरांसाठी धन व धान्य इत्यादी द्यावे व जेथे विद्वान रमतो तेथेच संपूर्ण लोकांनी रमावे. ॥ ८ ॥